ई-केवाईसी न करवाने से 45 हजार राशन कार्ड ब्लॉक, लाखों उपभोक्ता सस्ते राशन से वंचित
प्रदेश में राशन कार्डधारकों के लिए ई-केवाईसी प्रक्रिया अनिवार्य कर दी गई है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य राशन वितरण में पारदर्शिता लाना और गड़बड़ियों को रोकना है। हालांकि, ई-केवाईसी न करवाने के कारण सरकार ने 45 हजार राशन कार्ड अस्थायी रूप से ब्लॉक कर दिए हैं। इसके चलते करीब पांच लाख उपभोक्ताओं को सस्ते राशन का लाभ नहीं मिल पाएगा।
सरकार का उद्देश्य और प्रक्रिया
प्रदेश सरकार लंबे समय से राशन वितरण प्रणाली को अधिक पारदर्शी और गड़बड़ी मुक्त बनाने के प्रयास कर रही है। ई-केवाईसी का उद्देश्य वास्तविक लाभार्थियों तक सस्ते राशन की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। इस प्रक्रिया के तहत राशन कार्डधारकों को अपनी पहचान और विवरण की पुष्टि करनी होती है। विभाग ने कई बार ई-केवाईसी की समय सीमा बढ़ाई और लाभार्थियों को सूचित किया, लेकिन इसके बावजूद अब भी 12% राशन कार्डधारकों ने अपनी ई-केवाईसी पूरी नहीं की है।
आंकड़े और प्रभाव
प्रदेश में करीब 19.5 लाख राशन कार्डधारक हैं, जिनमें से 74 लाख लोग इन राशन कार्डों के जरिए सस्ते राशन का लाभ उठाते हैं। अब तक 88% राशन कार्डधारकों की ई-केवाईसी पूरी हो चुकी है। शेष 12% ने प्रक्रिया पूरी नहीं की, जिसके चलते 45 हजार राशन कार्ड ब्लॉक कर दिए गए। इससे हजारों परिवारों को डिपो से मिलने वाले सस्ते राशन का लाभ नहीं मिल सकेगा।
लाभार्थियों के लिए चेतावनी
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने स्पष्ट किया है कि जिन कार्डधारकों ने अब तक ई-केवाईसी नहीं करवाई है, उनके कार्ड अस्थायी रूप से बंद कर दिए जाएंगे। हालांकि, ऐसे लाभार्थियों को अभी भी ई-केवाईसी कराने का मौका दिया जाएगा। जैसे ही वे प्रक्रिया पूरी करेंगे, उनके राशन कार्ड पुनः सक्रिय कर दिए जाएंगे।
अपील और कार्रवाई
सरकार और विभाग ने लाभार्थियों से अपील की है कि वे जल्द से जल्द अपनी ई-केवाईसी प्रक्रिया पूरी कर लें। इसके लिए राशन डिपो, विभागीय कार्यालयों और ऑनलाइन पोर्टल्स पर सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। यदि लाभार्थी इसके बावजूद प्रक्रिया नहीं पूरी करते, तो उनके राशन कार्ड स्थायी रूप से बंद किए जा सकते हैं।
समाज पर असर
इस निर्णय से सस्ते राशन पर निर्भर गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों पर सीधा असर पड़ रहा है। सरकार के इस कदम की कुछ लोगों ने सराहना की है, तो कुछ ने इसे गरीबों के लिए मुश्किल बढ़ाने वाला बताया है। अब देखना होगा कि सरकार और विभाग इस समस्या को कैसे संतुलित करते हैं और लाभार्थियों तक राहत पहुंचाने के लिए क्या कदम उठाते हैं।
इस समस्या का समाधान केवल लाभार्थियों की जागरूकता और सरकार के बेहतर क्रियान्वयन से ही संभव है।
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