अंबुजा सीमेंट उद्योग पर 6.60 लाख रुपये का जुर्माना, 22 दिनों तक फैले प्रदूषण पर कार्रवाई
सोलन: हिमाचल प्रदेश के दाड़लाघाट स्थित अंबुजा सीमेंट उद्योग पर हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बड़ी कार्रवाई की है। बोर्ड ने प्रदूषण फैलाने के मामले में सीमेंट उद्योग पर 6.60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इस जुर्माने की राशि उद्योग को तीन दिन के भीतर जमा करनी होगी। ऐसा न करने पर नियमों के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
22 दिनों तक प्रदूषण से प्रभावित हुआ क्षेत्र
दिसंबर 2024 में अंबुजा सीमेंट प्लांट से धूल-मिट्टी और जहरीले धुएं का उत्सर्जन हुआ, जिससे दाड़लाघाट सहित आसपास की करीब छह ग्राम पंचायतों में भारी प्रदूषण फैल गया। इस प्रदूषण की वजह से स्थानीय लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। प्रदूषण का प्रभाव 22 दिनों तक महसूस किया गया।
कैसे हुआ मामला?
8 दिसंबर को प्लांट के प्री-हीटर सिस्टम में अचानक आई खराबी के कारण धूल और जहरीला धुआं पूरे क्षेत्र में फैलने लगा। 10 दिसंबर को स्थिति गंभीर हो गई, और लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। जैसे ही यह मामला प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के संज्ञान में आया, कंपनी को नोटिस जारी किया गया।
जांच और कार्रवाई का सिलसिला
बोर्ड की टीम ने 13 दिसंबर को प्लांट का दौरा किया और मौके पर जांच की। जांच के दौरान टीम को कुछ खामियां नजर आईं, जिसके बाद कंपनी को दूसरा नोटिस जारी किया गया। कंपनी ने जवाब दिया कि तकनीकी खराबी के कारण प्री-हीटर सिस्टम में छेद हो गया, जिससे समस्या उत्पन्न हुई।
16 दिसंबर को भी समस्या बनी रही, और बोर्ड ने तीसरा नोटिस जारी किया। इसके बाद 27 दिसंबर को बोर्ड की टीम ने दोबारा दौरा किया, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। आखिरकार 30 दिसंबर को कंपनी को चौथा नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया।
कंपनी का पक्ष
कंपनी का कहना है कि यह स्थिति प्लांट में तकनीकी खराबी के कारण उत्पन्न हुई थी। हालांकि, कंपनी ने प्लांट का शटडाउन लेकर सुधार कार्य शुरू कर दिया था।
बोर्ड की सख्ती
हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव अनिल जोशी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए यह कार्रवाई की। उनका कहना है कि पर्यावरण और स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले ऐसे मामलों में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
स्थानीय लोगों में नाराजगी
इस घटना से प्रभावित क्षेत्रों के लोगों में भारी नाराजगी है। उनका कहना है कि कंपनी को अपनी तकनीकी खामियों को समय रहते सुधारना चाहिए था, जिससे इस तरह की स्थिति न पैदा होती।
आगे की प्रक्रिया
यदि कंपनी तय समय सीमा के भीतर जुर्माने की राशि जमा नहीं करती है, तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इसके खिलाफ सख्त कदम उठाएगा। साथ ही, उद्योग के संचालन पर भी पुनर्विचार किया जा सकता है।
यह घटना पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता और उद्योगों की जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है।
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