हिमाचल प्रदेश में पेयजल आपूर्ति घोटाले का खुलासा: लोगों की सेहत से खिलवाड़
शिमला: हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के ठियोग विधानसभा क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। इस घोटाले में ठेकेदारों और सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से लोगों को गंदा पानी पिलाया जा रहा था।
क्या है मामला?
टेंडर के मुताबिक, लेलू पुल के पास से स्वच्छ पानी की आपूर्ति की जानी थी। लेकिन जांच में पाया गया कि ठेकेदार ने इस स्थान से पानी नहीं भरकर नालों से गंदा पानी भरकर टैंकरों में लोगों के घरों तक पहुंचाया। इस गंदे पानी को पीने लायक बनाए बिना ही लोगों को दिया जा रहा था।
कैसे हुआ खुलासा?
* पानी के फेरों में गड़बड़ी: पानी के फेरों में भी बड़ी गड़बड़ी पाई गई। चार की जगह दस टैंकरों के चक्कर दिखाए गए और अधिक भुगतान कराया गया।
* अधिकारियों की लापरवाही: जल शक्ति विभाग के कर्मचारी मौके पर मौजूद नहीं थे और उन्होंने कार्यालय में बैठकर ही रिपोर्ट तैयार कर दी।
* बिलों में गड़बड़ी: लेलू पुल से पानी न उठाने के बावजूद, पानी के बिल बनाए गए और ठेकेदारों को भुगतान कर दिया गया।
विजिलेंस की कार्रवाई
विजिलेंस टीम ने इस मामले में कई लोगों से पूछताछ की है, जिनमें इंजीनियर, कर्मचारी, ठेकेदार और चालक शामिल हैं। डीजीपी ने मामले की गहन जांच के निर्देश दिए हैं। आरोपियों के खिलाफ जल्द ही मामला दर्ज किया जा सकता है।
गंभीर परिणाम
यह मामला न केवल भ्रष्टाचार का एक गंभीर उदाहरण है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा है। गंदे पानी के सेवन से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। इस घोटाले से यह साफ हो जाता है कि कुछ लोग पैसा कमाने के लिए लोगों की जान से खिलवाड़ करने से भी गुरेज नहीं करते।
लोगों की प्रतिक्रिया
इस घटना से स्थानीय लोग काफी आक्रोशित हैं। उन्होंने सरकार से दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।
क्या हैं सवाल?
* इस तरह के घोटाले कैसे होते हैं?
* दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी?
* पेयजल आपूर्ति व्यवस्था में पारदर्शिता कैसे लाई जा सकती है?
यह मामला एक बार फिर से सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
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