कुल्लू: सड़क सुविधा से वंचित सैंज घाटी के दुर्गम गांवों में ठंड से बीमार ग्रामीण, इलाज के लिए पीठ पर मरीज उठाने को मजबूर
कुल्लू जिला की सैंज घाटी के दुर्गम गांवों में ठंड बढ़ने के साथ ही स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं गंभीर रूप ले रही हैं। यहां सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी के चलते मरीजों को बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण सात किलोमीटर तक का पैदल सफर तय कर बीमारों को सैंज अस्पताल तक पहुंचाने को मजबूर हैं। यह यात्रा न केवल बेहद कठिन है, बल्कि मरीजों और उनके परिजनों के लिए जोखिम भरी भी है।
सड़क सुविधा का अभाव बना मुसीबत
इन गांवों तक पहुंचने के लिए न तो सड़क सुविधा है और न ही कोई परिवहन साधन। मरीजों को पीठ, चारपाई या कुर्सी का सहारा देकर अस्पताल पहुंचाना पड़ता है। ग्रामीणों को सात किलोमीटर नीचे की ओर ढलान पर मरीजों को ले जाना पड़ता है, और इलाज के बाद उसी रास्ते से उन्हें वापस गांव तक चढ़ाई कर लाना पड़ता है। इस कठिन और थकावट भरी प्रक्रिया में कई बार मरीजों की हालत और खराब हो जाती है।
ठंड के कारण बढ़ रहीं बीमारियां
इन गांवों में ठंड के कारण बुखार, छाती में दर्द और पेट में दर्द जैसी बीमारियां तेजी से फैल रही हैं। बीते कुछ दिनों में यहां दो बुजुर्ग और तीन बच्चों को गंभीर स्थिति में सैंज अस्पताल ले जाना पड़ा। गांव सड़क सुविधा से 14 किलोमीटर दूर है, और इलाज के लिए ग्रामीणों को अन्य क्षेत्रों पर निर्भर रहना पड़ता है।
स्वास्थ्य सेवाओं की कमी
गांव में स्वास्थ्य सेवाओं की कोई व्यवस्था नहीं है। न तो कोई प्राथमिक चिकित्सा केंद्र है और न ही चिकित्सकों की उपलब्धता। ग्रामीणों का कहना है कि यदि स्वास्थ्य विभाग गांव में ही चिकित्सकों की टीम भेजे, तो लोगों को बहुत राहत मिल सकती है।
ग्रामीणों की सरकार से गुहार
ग्रामीणों ने सरकार और प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान किया जाए। उन्होंने आग्रह किया कि गांव में स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने के लिए चिकित्सकों की एक टीम भेजी जाए। इससे मरीजों का गांव में ही इलाज संभव हो सकेगा और उन्हें कठिन और जोखिमभरी यात्रा नहीं करनी पड़ेगी।
प्रशासन की निष्क्रियता पर नाराजगी
ग्रामीणों ने यह भी कहा कि कई बार प्रशासन को इस समस्या से अवगत कराया गया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उनका कहना है कि सड़क सुविधा न होने के कारण न केवल बीमारों को, बल्कि गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
ग्रामीणों को उम्मीद है कि उनकी समस्या पर सरकार और प्रशासन जल्द ध्यान देगा, ताकि वे बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं और मूलभूत सुविधाओं का लाभ उठा सकें।
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