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हिमाचल: 42 दिन तक देवता के आदेशों का सख्ती से पालन, टीवी-DJ बंद, फोन भी रहेंगे निष्क्रिय

 मनाली के गांवों में मकर संक्रांति से 42 दिनों का देव प्रतिबंध


मनाली: हिमाचल प्रदेश के मनाली और उसके आसपास के गांवों में मकर संक्रांति के साथ एक अनूठी धार्मिक परंपरा का आगाज होता है। इस दिन से स्थानीय लोग 42 दिनों तक देवताओं के कड़े आदेशों का पालन करते हैं। इस दौरान गांवों में शांति और स्थिरता का माहौल रहता है।




सिमसा और गौशाल गांवों में विशेष प्रतिबंध:


मनाली के सिमसा और गौशाल गांव सहित नौ अन्य गांवों में 14 जनवरी से विशेष धार्मिक आदेश लागू होता है। इन गांवों में मकर संक्रांति के दिन देवता के मंदिरों के कपाट बंद हो जाने के बाद टीवी, रेडियो और अन्य मनोरंजन साधनों पर प्रतिबंध लग जाता है। ग्रामीणों को 42 दिनों तक शोर-शराबे से दूर रहने के आदेश दिए जाते हैं। कृषि कार्यों पर भी कुछ प्रतिबंध लगाए जाते हैं।


देवताओं की तपस्या और भविष्यवाणी:


मान्यता है कि इस दौरान गांव के आराध्य देव तपस्या में लीन रहते हैं। 42 दिन बाद फागली उत्सव पर मंदिर के कपाट खुलते हैं और देवता भविष्यवाणी करते हैं। मंदिर के अंदर रखे लेप से कुमकुम, सेब के पत्ते आदि निकलते हैं, जिनके आधार पर आने वाले साल की घटनाओं का अनुमान लगाया जाता है।


स्थानीय लोगों की धार्मिक आस्था:


यह परंपरा स्थानीय लोगों की गहरी धार्मिक आस्था को दर्शाती है। वे मानते हैं कि देवताओं को शांत वातावरण की आवश्यकता होती है ताकि वे तपस्या कर सकें।


विशेष प्रतिबंध वाले गांव:

 * गौशाल

 * कोठी

 * सोलंग

 * पलचान

 * रुआड़

 * कुलंग

 * शनाग

 * बुरुआ

 * मझाच

 * सिमसा

 * कन्याल

 * छियाल

 * मढ़ी

 * रांगडी


यह खबर क्यों है महत्वपूर्ण:

यह खबर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हिमाचल प्रदेश के एक अनूठे धार्मिक रीति-रिवाज को दर्शाती है। यह खबर उन लोगों के लिए भी दिलचस्प होगी जो भारतीय संस्कृति और परंपराओं में रुचि रखते हैं।


संक्षेप में:


मनाली के गांवों में मकर संक्रांति से 42 दिनों तक देव प्रतिबंध रहता है। इस दौरान स्थानीय लोग देवताओं के आदेशों का पालन करते हैं और शांति बनाए रखते हैं।


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